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Report–Santosh Pandey

सुल्तानपुर : शहर से सटे पांचोपीरन कस्बे में इसौली विधायक ताहिर खान के पशु बाजार पर शनिवार को एसडीएम सदर व नगर कोतवाल ने छापा मारा। पिकअप में लदी लगभग 73 मवेशियों को द्वारिकागंज चौकी पर भेजा गया है।

कोतवाली नगर थाना अंतर्गत पांचोपीरन स्थित इसौली के सपा विधायक ताहिर खान के घर के सामने लगे पशु बाजार में आज उस समय हड़कंप मच गया जब पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने छापेमारी की। विधायक के भाइयों का आरोप है कि बाजार में मौजूद व्यापारियों को पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। उसके बाद बातचीत का दौर चला। विधायक के भाई वा अधिवक्ता रिजवान गनी खान ने अधिकारियों को बताया कि यहां 1977 से पशु बाजार लग रहा है। जबकि अधिकारियों का ये कहना था कि बिना लाइसेंस जारी हुए आप पशु बाजार नहीं लगा सकते। बता दें कि बीते अक्टूबर माह में भी प्रशासनिक टीम ने यहां रेड मारा था और बाद में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व सहायक राजस्व निरीक्षक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस संदर्भ में अपर मुख्य अधिकारी हरिओम ने बताया कि दो माह पहले जिला पंचायत में लाइसेंस का आवेदन हुआ था। एनओसी के लिए फाइल लंबित है। जो अफसरों की सत्यनिष्ठा पर सवाल खड़े कर रही है। वही सपा विधायक ताहिर खान ने फोन पर बात करते हुए बताया कि सांसद मेनका गांधी का बहाना लेकर के एसडीएम ने छापा मारा है। उन्होंने कहा कि सारी जगह से रिपोर्ट लगने के बाद एनओसी के लिए हमारी फाइल एसडीएम व कोतवाल के पास पड़ी है। एसडीएम 11 लाख व कोतवाल 5 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। विधायक ने कहा हम इन सबको हाईकोर्ट में खींचेगे।

एसडीएम सीपी पाठक ने बताया कि सुबह शिकायत मिली थी कि अनाधिकृत रूप से यहां पशु बाजार लग रही है। अधिकृत रूप से एनओसी प्राप्त नहीं की गई है। जिसके आधार पर यहां जांच हुई, लाइसेंस मार्च में ख़त्म हो चुका है और लाइसेंस रिनीवल नहीं हुआ है। जो भी विधिक कार्रवाई है वो की जाएगी,सपा विधायक ताहिर खान के पशु बाजार पर प्रशासनिक छापे से जिले के राजनैतिक गलियारे में हलचल मच गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह ने अपरोक्ष हमला करते हुए कहा कि जिला पंचायत किसी के दबाव में नहीं चलती है। वही विधायक का कहना है की एसडीएम सदर व कोतवाल को मोटी रकम चाहिए। हम कहां से पैसा दें हमारे पास पैसा है नहीं,जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह एवं उनके पति व बल्दीराय के ब्लॉक प्रमुख शिव कुमार सिंह ने मीडिया से बात किया। उन्होंने कहा हमारे ऊपर किसी का दबाव नहीं चलता है और न ही मैं किसी के दबाव में रहती हूं। गरीब परिवार की आजीविका बकरी पालन, भेड़ पालन से होती है और यह सरकार की भी मंशा है। हमारे जानने में कई ऐसे गरीब परिवार हैं जो इसी के जरिए आजीविका चला रहे हैं। सरकार इस पर लोन तक दे रही है। लाइसेंस का आवेदन जिला पंचायत में आया था,जिस पर उपजिलाधिकारी सदर और नगर कोतवाली की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल सकी है। रिपोर्ट आने के बाद ही लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। पशु बाजार चलेगी या नहीं इसे लेकर हम कुछ स्पष्ट नहीं कर सकते। चल रही पशु बाजार पर नोटिस नहीं जारी हुई है। इसे लेकर अपर मुख्य अधिकारी से जवाब तलब किया गया है। उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा।

वही विधायक ताहिर का कहना है कि नगर कोतवाल और एसडीएम सदर हमारे यहां आए थे। असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया, व्यापारियों से मारपीट की गई है। एसडीएम सदर और नगर कोतवाल को मोटी रकम चाहिए। मोटी रकम कहां से दी जाए जब हमारे पास पैसा नहीं है। विधायक ने ये भी कहा है कि हम यहां से दिल्ली तक लड़ाई लड़ेंगे। हम इन लोगों को हाईकोर्ट में भी खींचेगे। दरअसल पुरा मामला यह है कि बीते शनिवार को एसडीएम सदर सीपी पाठक और नगर कोतवाल राम आशीष उपाध्याय पुलिस बल के साथ सपा विधायक ताहिर खान के पशु बाजार पहुंचे थे। जहां पर कई व्यापारियों को पीटा गया। सपा विधायक के भाइयों से नगर कोतवाल की नोकझोंक हुई भी हुई। भीड़ इकट्ठा होने पर पुलिस बल वहां से रवाना हो गया।सपा विधायक ने छापेमारी के पीछे कहा था कि अधिकारी सांसद मेनका गांधी का नाम लेकर अमूमन डराते धमकाते रहते हैं। सभी बयान और कार्रवाई को देखते हुए जहां प्रशासनिक कार्रवाई सवालों के घेरे में है,तो वही राजनैतिक द्वेष की भावना भी पूरे मामले में साफ देखने को मिल रही है।

सुल्तानपुर के इसौली विधानसभा से सपा विधायक के पशु बाजार के नवीनीकरण के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई गई है। इस संदर्भ में ग्यारह सूत्रीय एक पत्र जिला पंचायत सदस्य राम शंकर यादव व ग्रामीणों ने पार्टी महासचिव सलाहुद्दीन के नेतृत्व में डीएम जसजीत कौर को दिया है। मांग पत्र में इस बात का उल्लेख है कि भारतीय संविधान की मंशा,केंद्र तथा राज्य सरकार की मंशा के अनुसार पशुपालकों के साथ हर तरह से न्याय हो। यहां लगभग 7 लाख कृषि विहीन व लघु कृषक हैं जिनके पूरे परिवार के जीवन यापन का सहारा पशुपालन है। यह पशुपालकों का एकमात्र लघु-कुटीर उद्योग व्यापार है। यहां लघु कुटीर उद्योग धंधे न के बराबर हैं क्योंकि जनपद अभी भी लघु कुटीर उद्योग में पिछड़े हैं। तो वहीं उसमें इस बात का भी उल्लेख है कि संज्ञान में आया है कि जिस बाजार में 1973 से आजतक पशुपालकों के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं घटित हुई। पशुपालक के लिए सुरक्षित स्थान है। जहां जल एवं वृक्षों की छाया से लेकर प्रशासन के 16 मानक पूरे होते हैं 31 मार्च के पहले नवीनीकरण के लिए 15 मार्च को आवेदन किया जा चुका है। लेकिन कागज पूर्ण होने के बाद भी पत्रावली लंबित है।

वहीं पशुपालक भेड़-बकरी और भैंस बिक्री के लिए बिचौलियों के हाथ बेचने पर उचित मूल्य नहीं पाते,एक चौथाई ही उन्हें मिलता है। यदि बाजार में पशुपालक स्वय बेचते हैं तो उन्हें उचित मूल्य मिलता है। क्योंकि वहां ग्राहक उपलब्ध होते हैं। जिससे पशुपालक अपनी रोजमर्रा की आवश्यकता शिक्षा,चिकित्सा, भोजन एवं वस्त्र,अपने परिवार की छोटी मोटी आवश्यकता व बच्चों की शादी की आवश्यकता पूरी कर लेते हैं।

जिले के पशुपालक ऑर्गेनिक खेती करने के लिए पशु एवं भेड़ बकरियों का मल-मूत्र उसके जरिए बटाई, कृषक, लघु कृषक अपने खेतों में डालकर अपने खेतों में ऑर्गेनिक खेती व ऑर्गेनिक सब्जी उगाने का बड़े पैमाने पर कार्य करते आ रहे हैं। कैंसर, कुपोषण, लीवर, हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों से जनपद वासियों को बचाने का काम करते हैं। पशु बाजार नासिरगंज कस्बा में है। जिला पंचायत के अधीन सन 1973 से मोहम्मद जाकिर खां के पूर्वज उनके दादा नासिर खां के समय से लगती चली आ रही है।


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