वाराणसी : कंगना रनौत लिखित-निर्देशित और अभिनीत इमरजेंसी फिल्म सिनेमा घरों में शुक्रवार को रिलीज हो गई है। इस फिल्म में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवनकाल के वो ऐतिहासिक और विवादस्पद फैसले हैं, जो भारत ही नहीं, बल्कि इंदिरा के जीवन के लिए भी निर्णायक साबित हुए।
‘इमरजेंसी की कहानी 12 साल की इंदु (बाल इंदिरा) से शुरू होती है, जहां टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित इंदिरा की मां को उपेक्षित किए जाने के दौरान इंदु को अपने दादा से सत्ता और शासक होने का पहला सबक मिलता है। इसके बाद कहानी इंदिरा की व्यक्तिगत और राजनीतिक यात्रा को आगे ले जाती है, जहां देश को मिली आजादी, पिता पंडित जवाहरलाल का प्रधानमंत्री बनना, 1962 में भारत चीन युद्ध और असम संकट, शिमला समझौता, 1971 का भारत-पाक युद्ध, 1971 में बांग्लादेश का स्वतंत्र राष्ट्र बनना, इंदिरा का शासन काल, 1975 से 1977 तक का आपातकाल, नसबंदी का दौर, ऑपरेशन ब्लू स्टार और अंत में अपनी आखिरी रैली के लिए जाती इंदिरा की नृशंस हत्या को दिखाया गया है।
फिल्म में इंदिरा गांधी के आयरन लेडी बनने की कहानी को बखूबी कंगना राणावत द्वारा निभाया गया है। कंगना ने इंदिरा गांधी के रोल को बखूबी निभाया है। फिल्म में इंदिरा के उसे रोल को भी दर्शाया गया है जो एक पिता के राजनीतिक कद को पर करते हुए अपनी एक छवि बनती हैं। पाकिस्तान में बांग्लादेशी नागरिकों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए सोवियत संघ अमेरिका फ्रांस जैसे ताकतवर देश से किस तरह से अपने पक्ष में करते हुए पाकिस्तान पर सैन्य हमलाकर कर बांग्लादेश देश बनाने का काम किया। इंदिरा के इस इस फैसले से उनकाराजनीतिक का बढ़ जाता है। फिल्म में इंदिरा गांधी एवं संजय गांधी के बीच रिश्तों को भी दिखाया गया है। संजय गांधी किस तरह से कई कड़े फैसले लेते हैं, जिससे इंदिरा गांधी को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ता है और सत्ता भी गंवानी पड़ती है।
इस पूरे सफर में यह फिल्म इंदिरा का विपक्ष की जनता पार्टी के दिग्गज नेता जयप्रकाश नारायण (अनुपम खेर), अटल बिहारी वाजपेयी (श्रेयस तलपड़े), जगजीवन राम (सतीश कौशिक) उनकी करीबी पुपुल जयकर (महिमा चौधरी) उनके बेटे संजय गांधी (विशाक नायर), पति फिरोज गांधी (अधीर भट्ट) के साथ उनके रिश्तों की पड़ताल भी करती है।