वाराणसी : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले वाराणसी के बिजलिकर्मियो ने भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर बिजली को निजीकरण के को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश से जो लगातार अपना विरोध प्रदर्शन कर जता रहें है।
संघर्ष समिति के वक्ताओ ने कहा कि आज देश के समस्त 27लाख बिजलिकर्मियो ने पुर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में देश के अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके तारतम्य में बनारस के बिजलिकर्मियो ने भारी विरोध सभा भिखारीपुर स्थित प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पर किया।
वक्ताओ ने कहा कि प्रदेश के समस्त बिजलिकर्मियो की भांति बनारस के बिजलीकर्मियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि एक बार आप विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के द्वारा बनाया गया प्रेजेंटेशन को देखिए और उस पर विचार कीजिये कि क्या बिजली के निजीकरण की आवश्यकता है ? यदि आपको निजीकरण की आवश्यकता समझ में नही आता तो आप इन शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन से पूछे कि आप 24 वर्षो में सरकार को क्यों गुमराह कर रहे थे यदि आप से ये विभाग नही संभल रहा है तो छोड़ क्यों नही दिया।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर आज देश के सभी प्रांतों के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओ ने उत्तर प्रदेश में 42 जनपदों के किये जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। उप्र के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर आज बिजली कर्मचारियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर अपने आक्रोश को व्यक्त किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों ने बताया कि यह चर्चा है कि निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन को झूठा शपथ पत्र देने के बावजूद निदशक वित्त श्री निधि नारंग ने उसे क्लीन चिट दे दी है। उल्लेखनीय है कि इंजीनियर ऑफ कांट्रैक्ट ने झूठा शपथ पत्र देने के मामले में ग्रांट थॉर्टन का नियुक्ति आदेश रद्द करने की सिफारिश की थी। इसे न मान कर अब अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन को क्लीन चिट देकर निजीकरण की प्रक्रिया तेज की जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस घटना से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबंधन की निजी घरानों से मिली भगत है। इसीलिए तीसरी बार निधि नारंग को सेवा विस्तार दिया गया है।
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उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़ों देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है जिससे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी विगत 06 माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं किंतु अत्यंत खेद का विषय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की।