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Prayagraj News: द्वारका शारदा पीठ एवं ज्योतिष पीठ के ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद ने कहा हमे बहुत प्रसन्नता है की तीन पीठ के शंकराचार्य त्रिवेणी गंगा के तट पर एक साथ उपस्थित है। लोग एक शंकराचार्य के दर्शन के लिए तरसते है। आज यहाँ परम धर्मसंसद में हम लोगों का परम सौभाग्य है कि एक साथ तीन शंकराचार्यों के दर्शन लाभ ले पा रहे है। हमे पूर्ण विश्वास है गौ हत्या अवश्य बंद होगी।

वीरदावली – ब्रह्मविद्यानंद
द्वारका के शंकराचार्य स्वामी सदानंद ने कहा कि हम सब सनातन धर्मावलंबी है हम आत्मा को अजर-अमर मानते हैं।पूरे विश्व में जो भी दिखायी दे रहा है वो परमब्रह्म परमात्मा का विलास मात्र दिखायी पड़ता है। वेद संस्कृत भाषा में ही है इसलिए हमारी मूल भाषा संस्कृत है। जितना भी हमारा धार्मिक साहित्य है सब संस्कृत में है इस लिए संस्कृत भाषा का बहुत महत्व है । परम धर्मसंसद किसी भी परिसर में नहीं हो सकता वहीं हो सकता है जहाँ विद्वान विद्यमान हो।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य महाराज द्वारा चलाया जा रहा धर्मसंसद सनातनियों के धार्मिक हित के लिए अतन्यंत आवश्यक है । जैसे दूध में पानी की मिलावट की जाति है वैसे ही नकली धर्माचार्य बनाये जा रहे है रही है इसलिए हमे बहुत सचेत रहने की और अपने वास्तविक धर्माचार्य को पहचानने की आवश्यकता है। अगर हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म स्वयं हमारी रक्षा करेगा। श्रृंगेरी के शंकराचार्य विदुशेखर भारती ने कहा कि परमेश्वर के अवतार सनातन वैदिक धर्म के धारक परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य जी ने लोकउद्धार के लिए एक विशिष्ट ग्रंथ प्रश्नुत्तरमल्लिका लिखी जिसमे उन्होंने स्वयं प्रश्न करके उत्तर दिया।

इस ग्रंथ में एक प्रश्न है माता कौन है इसका जवाब आदि शंकराचार्य ने लिखा धेनु: अर्थात् गौ माता। आदि शंकराचार्य ने अपनी मल्लिका में दिखाया है की गौ माता की क्या महिमा है ? इसलिए गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करना चाहिए और गौ माता का विशेष रूप से रक्षा हो। जब तक गौ हत्या होती रहेगी हम इस देश में सुख – शांति से नहीं रह सकते। लोग पूछते है हमे गौ हत्या बंद करने का प्रयास कब तक करना है?? इसका जवाब है हमे गौ हत्या को पूर्तः प्रतिबंधित करने का प्रयास तब तक करना है जब तक गौ हत्या पूरी तरह बंद हो जाए और गौ माता राष्ट्र माता घोषित हो जाये। गाय के हर अंग में एक देवता है। गोमय में स्वयं लक्ष्मी माता विराजमान होती है। लोग अब संस्कृत भाषा को भूल गए है इसलिए हमे इस स्थिति को बदलना है सभी हिंदुओं को संस्कृत भाषा सीखनी चाहिए, प्रयोग में लानी चाहिए और इस भाषा के प्रति विशेष रूप से श्रद्धा रखनी चाहिए ।

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शंकराचार्य की परंपरा अलौकिक है जो कभी समाप्त नहीं हो सकती। यहाँ तीन शंकराचार्य ब्रह्म, विष्णु, महेश के रूप में दिख रहें है और चौथे शंकराचार्य भी यहाँ विद्यमान है लेकिन जैसे परमब्रह्म दिखता नहीं वैसे वो दिखायी नहीं दे रहे है। देवताओं की भाषा संस्कृत है इसलिए देवताओं से संवाद करने के लिए हमे संस्कृत भाषा आनी चाहिए। हमेशा से संस्कृत हमारी भाषा रही है।इस बार जब भाषा की जनगड़ना हो तो ८० करोड़ लोग बताए हमारी भाषा संस्कृत है इससे सरकार को संस्कृत भाषा के लिए बजट देना होगा और संस्कृत भाषा के लिए महाविद्यालय बनाने होंगे जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और हम फिर से अपनी भाषा की ओर जाएँगे। अंत में तीनो शंकराचार्य द्वारा संयुक्त रूप से धर्मादेश जारी किया गया।


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