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वाराणसी। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कल्याणकारी सेवा प्रकोष्ठ ने “ब्रेकिंग द साइलेंस: रिराइटिंग कैंपस कन्वर्सेशन ऑन सुसाइड प्रिवेंशन, इंटरवेंशन एंड पोस्टवेंशन” शीर्षक से एक परिवर्तनकारी कार्यशाला का आयोजन किया। इस पहल ने 250 से अधिक छात्रों को आकर्षित किया, जो मानसिक स्वास्थ्य पहल और संवेदनशील परिसर संस्कृति के लिए एक शक्तिशाली सामूहिक प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

29 अगस्त से 5 सितम्बर तक चले पंजीकरण चरण में विभिन्न संकायों के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो इस विषय पर बढ़ती जागरूकता और संवेदनशील मुद्दों को साहस और सहानुभूति से संबोधित करने की तत्परता को दर्शाता है।

कार्यशाला के उद्देश्य आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुली कलंक-मुक्त परिचर्चा को बढ़ावा देना, छात्रों को हस्तक्षेप और पोस्टवेंशन के लिए व्यावहारिक रणनीतियों से लैस करना, मदद मांगने वाले व्यवहार और साथियों के समर्थन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ प्रतिभागियों को भावनात्मक वेल – बीइंग के लिए परिसर के अधिवक्ता के रूप में सशक्त बनाना है। कार्यक्रम की शुरुआत वर्कशॉप के संयोजक नित्यानंद तिवारी, स्टूडेंट काउंसलर, वेल-बीइंग सर्विसेज सेल के हार्दिक स्वागत भाषण के साथ हुई, जिन्होंने “स्टार्ट द कन्वर्सेशन थीम” के साथ विषय को परिचित कराया।

उन्होंने सक्रिय परामर्श और समुदाय-आधारित सहायता प्रणालियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हुए वैश्विक और राष्ट्रीय आत्महत्या के आंकड़ों पर प्रकाश डाला। स्टूडेंट काउंसलर नित्यानन्द तिवारी ने मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित गलत धारणाओं और रूढ़ियों को चुनौती देने के लिए प्रशिक्षित स्टूडेंट पियर सपोर्ट सिस्टम के निर्माण के बारे में जोर दिया ।

प्रो. तुषार सिंह, मुख्य वक्ता, ने आत्महत्या से जुड़े विमर्शों को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आत्महत्या की कल्पना, चेतावनी संकेतों और जोखिम कारकों पर चर्चा की और छात्रों से सतर्क, सहानुभूतिपूर्ण श्रोता और उत्तरदाता बनने का आह्वान किया। उन्होंने आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ईमानदार और सहानुभूतिपूर्ण विमर्श को प्रोत्साहित किया।

उन्होंने छात्रों के लिए अनुभव और चिंताओं को साझा करने के लिए सुरक्षित स्थान बनाने के लिए भी विचार साझा किए। छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा ने एक संवेदनशील कैंपस इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में डब्ल्यूबीएससी के प्रयासों की सराहना की।
समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र के समन्वयक डॉ. आलोक कुमार पांडे ने कार्यशाला के प्रभाव पर चिंतनशील अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है – यह एक वादा है।

परिसर में सुरक्षित स्थान बनाने का वादा जहां मानसिक स्वास्थ्य छाया में छिपा नहीं है, बल्कि सहानुभूति और साहस के साथ गले लगाया गया है। कार्यशाला की सफलता सर्वपल्ली राधाकृष्णन फेलो- अन्नपूर्णा, राजन, चंदन के साथ-साथ स्नातकोत्तर छात्र – विकास तिवारी,पूजा कुमारी, आकांक्षा त्रिपाठी और कार्यालय के कर्मचारी वर्षा श्रीवास्तव और आशुतोष के समर्पित प्रयासों से संभव हुई, जिन्होंने ऑन-ग्राउंड और पर्दे के पीछे के योगदान ने निर्बाध निष्पादन सुनिश्चित किया।

स्टूडेंट काउंसलर नित्यानंद तिवारी द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव में कृतज्ञता और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को प्रतिध्वनित किया गया।


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