Spread the love

वाराणसी। वाराणसी के विश्व विख्यात यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल रामनगर की रामलीला का शुरुआत शनिवार शाम रावण जन्म के साथ शुरुआत हुई। रामलीला वाराणसी के लक्खा मेलों में शुमार है या लगातार 30 दिनों तक 5 किलोमीटर तक विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाती है। जिसमें शामिल होने के लिए काशी राज परिवार से अनंत नारायण सिंह शामिल होते हैं। अनंत नारायण सिंह के पहुंचने पर रामनगर के रामलीला में शामिल श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव की जय घोष से उनका स्वागत किया। रामनगर की रामलीला आधुनिकता के इस दौर में प्राचीनता को समेटे हुए है। यह पूरी राम लीला के भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि ये आज भी पेट्रोमैक्स पर होती है।

रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला दुर्गामंदिर के पास रावण के जन्म के साथ शुरू हुई। इसके बाद रावण का यज्ञ संपन्न के बाद ब्रह्मा जी ने उसे अमरत्व का वरदान दे देते हैं। अब उसे मनुष्य और वानर के सिवा कोई भी मार नहीं सकता। वरदान पाकर रावण ने देवलोक में खलबली मचाना शुरू कर दिया। कुबेर पर्वत पर चढ़ कर उनका पुष्पक विमान छीन लिया। घबरा कर देवराज इंद्र देवताओं को लेकर बैकुंठ पलायन कर गए और राक्षसों के आतंक से धरती कांप उठी।

काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह की मौजूदगी में रामबाग के मुख्य द्वार के पास शाम पांच बचे पहले दिन की लीला का मंचन हुआ। इसके बाद भगवान ब्रह्मा से वरदान लेने के लिए अपने घर में यज्ञ करता है और प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसे मन इच्छित वर मांगने को कहते हैं। रावण ने कहा, हे जगदीश! हमें ऐसा वर दे कि मनुष्य और वानर के सिवा कोई भी मुझे मार न सके। ब्रह्मा जी के तथास्तु कहते ही कुंभकर्ण ने भी छह महीना सोने और एक दिन जागने का वर मांगा।

ब्रह्मा जी लंकनी से कहते हैं कि राक्षस रावण लंबे समय तक राज करेगा लेकिन, एक समय ऐसा भी आयेगा जब एक वानर का तुम निरादर करोगे और तुम्हें वह एक मुक्का मार कर बेहाल कर देगा। तब तुम समझना कि राक्षस राज का अंत नजदीक है।

रामनगर की रामलीला का आयोजन 5 किलोमीटर से अधिक के मुक्ताकाशीय मंच पर आयोजित किया जाता है। इस कारण इसे देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला के रूप में मान्यता मिली हुई है। रामनगर की रामलीला आधुनिकता के इस दौर में भी अपनी प्राचीनता को समेटे हुए है।

 

 

आज के समय में भी इस रामलीला का आयोजन मशाल और पंचलाइट की रोशनी में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। आज के समय में भी इस रामलीला में माइक का उपयोग नहीं किया जाता। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकार अपने संवाद ऊंची आवाज में बोलते हैं। यहां आने वाले दर्शक भी अलग प्रकार के होते हैं। इस रामलीला में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *