वाराणसी : काशी में अन्नपूर्णा मंदिर के स्वर्ण शिखर का रजत कलश से शंकराचार्य द्वारा 48 सालों बाद कुम्भाभिषेक किया गया. 108 रजत कुभ और स्वर्ण कुभ से शंकराचार्य द्वारा भारत के विभिन्न नदी, समुद्री जल से अभिषेक, स्वर्णालंकार, श्रीयंत्र आदि अर्जित मे गये दक्षिण भारत से आये हुये विशेष पुष्यों से अभ्यर्चना की गई. महा आरती की शंकराचार्य द्वारा रचित अन्नपूर्णा अधक का पाठ किया. फिर आम भक्तों के लिये पट खोला गया.
काशी के अन्नपुर्णा मंदिर में नौ दिवसीय महानुष्ठान के सातवे दिन मंदिर परिसर में सातवें दिन के महानुष्ठान प्रातः सात बजे से प्रतिष्ठांग हवन, शुभ मुहूर्त में देवता मूर्तिप्रतिष्ठा, कुम्भाभिषेक, अर्चन, महानीराजन, पूर्णाहुति प्रसाद शिखर कुम्भाभिषेक सम्पन्न हुआ.
कुम्भाभिषेक समारोह मे श्रृंगेरी जगद्गुरु विधुशरेखा भारती महास्वामी महाराज को मंदिर महंत व महंत ने किया फिर अनुष्ठान स्थल तक गए. उस दौरान चारों वेदो की शुभ कर कमलों से दिव्य ऋचाओ व के नाद स्वर की मधुर ध्वनि के बीच शंकराचार्य पाठ के बीच सर्वप्रथम मंदिर में स्थापित गणेश विग्रह की पूजा की.
गणेश जी को विशेष अर्घ्य समर्पित करने के पश्चात् मदिर गर्भगृह का अनावरण किया गया. माता की नव प्रतिमा को देखकर भक्तों ने जयघोष किया. माजा का श्रीसूक्त, दुर्गा सुक्त, उपनिषद मंत्रो से पंचामृत स्नान कराया गया. कुंभाभिषेक कर शंकराचार्य ने कहा जन कल्याण, भारत वर्ष के वैभव सुख समृद्धि की वृद्धि है.अन्नपूर्णा मंदिर स्वर्ण मंडित शिखर पर शंकराचार्य पहुँचे साथ मे महंत शंकरपुरी व महंत सुभाष पूरी वही मठ से पीएन मुरली थे.
स्वर्ण शिखर का अनेको कुंड से आये जल को रजत कलश से शंकराचार्य ने जलाभिषेक कर पुष्प अर्पित किया. फिर आरती उतारी स्वर्ण शिखर को नमन कर सीढ़ियों से उतरने पर मौजूद लोगों को आशीर्वाद देते हुये कहा कि 48 वर्ष पहले उनके परम गुरु परमपूज्य गुरु शंकराचार्य ने त्रिभुवन पूरी के समय मे उनके आग्रह पर मूर्ति प्रतिष्ठा करवाई थीं.
महंत शंकरपूरी के कहने पर यहाँ आना हुआ और कुम्भाभिषेक कार्यक्रम मे आकर मूर्ति की प्रतिष्ठा की शारदा पीठाधीश्वर तीर्थ स्वामी महाराज में आज्ञानुसार विजय रथ क्रम में कुम्भाभिषेक कार्यक्रम को सफल से सम्पादित किया गया. इस बार अति सुन्दर मूर्ति की स्थापना की गई जिसको देखने के बाद हटने का मन नही करता है. इस कार्यक्रम में सहस्त्रचडी, महारूद्र, चतुर्वेद पारायण, अष्टादश पुराण पाठ, दशमहाविद्या जप पूर भारत से आएं हुए 485 वैदिक विद्वानों ने सम्पन्न कराया.
चार वेदों और 18 पुराणों का पारायण, एक साथ हो रहे पांच अनुष्ठान
काशी में 48 साल बाद मां अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक सम्पन्न हुआ काशी में पहली बार ऐसा हुआ जिसमें चार वेदों, 18 पुराणों के पारायण के साथ पांच अनुष्ठान हो रहे हैं. नौ दिनों तक चलने वाले इस महानुष्ठान में सात राज्यों से 1100 से अधिक वैदिक विद्वान शामिल रहें सहस्त्रचंडी, कुमकुमार्चन,वेद, पुराण का पाठ हवन किया गया.18 पुराणों के मूल रूप का पाठ किया गया. कोटि सहस्त्रार्चन और 10 महाविद्याओं का जप किया गया.