वाराणसी : बाबा भोले नाथ की नगरी काशी में जहां ओंकारेश्वर खण्ड में काशी कोतवाल बाबा काल भैरव विराजमान है तो दूसरी तरफ विश्वेश्वर खण्ड में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर स्थापित है तो केदारखण्ड में गौरी केदारेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है. इस मंदिर की मान्यता है की ये काशी विश्वनाथ मंदिर से पहले कि स्थापित स्वंयभू मंदिर है. जिसे राजा मान्धाता द्वारा स्थापित किया गया है. मंदिर के बारे में बताया जाता है की राजा मान्धाता केदारनाथ को रोज दर्शन कर भोग चढ़ाते थे एक समय वो दर्शन करने में असमर्थ हो गए तो उनको बहुत निराशा हुए वो रोने लगें तो भगवान प्रसन्न होकर उनको दर्शन दिए. जिसके बाद से वो यही स्वंयभू स्थापित हो गए.
खिचड़ी से दो हिस्सों में स्थापित है गौरी केदारेश्वर शिवलिंग
राजा मान्धाता केदारनाथ के भक्त थे वो जब भोजन बनाते थे तो वो उसका दो हिस्सा करते थे एक को केदारनाथ जी को चढ़ाते थे दूसरे हिस्सा में से एक भाग अतिथि के लिए एक भाग अपने ग्रहण करते थे. एक समय राजा मान्धाता चावल एवं मूंग की दाल की खिचड़ी बना कर दो भाग में कर दिया पर वो केदारनाथ को चढ़ा नहीं पाएं तो उनको बहुत निराशा हुई. जिससे उनकी आंखें भर आईं तो भगवान उनकी सेवा भाव भक्ति से प्रसन्न होकर दर्शन दिए. उन्होंने मान्धाता से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने कहा की आपके दर्शन से ही मेरी सभी इच्छाएँ पूरी हो गई है. इसके बाद भगवान ने कहा की कोई वर मांग लो तो उन्होंने कहा की काशी आने वाले लोग जो आपका दर्शन करें उसका कल्याण हो तो प्रभु खिचड़ी ही स्वयंभू स्थापित हो गए.
सपने में बाबा दर्शन के बाद काशी पहुंचे थे राजा मान्धाता
राजा मांधाता अयोध्या के राजा थे जो केदारनाथ के बड़े भक्त थे. उन्हें एक दिन सपने में बाबा आते हैं और काशी जाकर तपस्या करने को कहते हैं और वहीं पर दर्शन देंगे. उन्होंने अपने राज्य के ब्राह्मणों से विचार विमर्श किया तो लोगों ने काशी जाने की सलाह दी. जिसके बाद वह काशी चले आए और तपस्या करने लगे जहां पर वह तपस्या कर रहे थे वहीं पर एक दिन बाबा केदारनाथ को खिचड़ी चढ़ाएं और भोग लगाने समय उनकी आंखें भर आई तो बाबा प्रसन्न होकर उन को दर्शन दिए. जिसके बाद वही खिचड़ी के रूप में स्वयं स्थापित हो गए.
गौरी केदारेश्वर गर्भ गृह में सात देवी – देवताओं के होते है साक्षात दर्शन
गौरी केदारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह से 7 देवी देवताओं के दर्शन होते हैं. मंदिर के गर्भ गृह से सीधे माता गंगा का दर्शन होता है. वही, दोपहर में सूर्य भगवान की रोशनी डायरेक्ट पहुंचती है. तीसरा खिचड़ी के शिवलिंग होने के कारण माता अन्नपूर्णा का भी दर्शन होता है. चौथा शिवलिंग दो भागों में होने से एक भाग में गौरी – केदारनाथ दूसरे में लक्ष्मी माता – विष्णु जी स्थापित है. इसी तरह यहां पर दर्शन करने वालों लोगों को साक्षात 7 देवी- देवताओं के दर्शन का लाभ मिलता है.
मंदिर में 15 कलाएं स्थापित है
मंदिर के प्रमुख महंत ने बताया कि 16 कलाओं में से गौरी केदारेश्वर मंदिर में 15 कला स्थापित है एक कला केदारनाथ मंदिर में हैं. यहां दर्शन करने से लोगों को केदारनाथ के दर्शन करने का 7 बार का फल मिलता है. इसके साथ ही यहां मरने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां दर्शन करने वालों में दक्षिण भारतीय लोगों की संख्या ज्यादा है. यहां दर्शन करने दूर-दूर से भक्त आते हैं. यहां लोग केदार घाट स्थित गौरी कुंड में स्नान कर बाबा को जल चढ़ाते हैं, गौरी केदारेश्वर का दिन भर में 4 बार विधि विधान से आरती होती है.