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Varanasi News : बनारस समेत पूरे पूर्वांचल में बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन बुधवार को निजीकरण को लेकर प्रदर्शन हुआ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में चल रहे इस विरोध में रेलवे, बैंक, एलआईसी, संयुक्त किसान मोर्चा सहित अन्य केंद्रीय संगठनों ने भी समर्थन दिया है। बनारस के पावर हाउस, वितरण खंड कार्यालयों और बिजली स्टेशनों के सामने कर्मचारियों का जमावड़ा पूरे दिन जारी रहा। इस दौरान ई0 मायाशंकर तिवारी, ई0 अनिल कुमार, ई0 पंकज जैसवाल, राजेश सिंह, विजय नारायण हिटलर, सौरभ श्रीवास्तव, अंकुर पाण्डेय, रविन्द्र यादव सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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प्रदर्शन कर रहें बिजली कर्मचारियों ने कहा कि सरकार ने यदि निजीकरण वापस नहीं लिया, तो यह चेतावनी आगे चलकर निर्णायक संघर्ष में बदलेगी। हमने बिना निजी कंपनियों के भी रोशन किया है उत्तर प्रदेश, अब हमारे हाथ बांधने की साज़िश क्यों?”

संघर्ष समिति के मीडिया सचिव अंकुर पांडेय ने विज्ञापन की विसंगतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार 2012 से 2024 तक की उपलब्धियों की गिनती कर रही है, दूसरी तरफ उसी व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि “अगर व्यवस्था इतनी सुधरी है तो निजी कंपनियों की ज़रूरत क्यों?” की जा रही है।

बिजली कर्मचारियों ने कहा कि आज का प्रदर्शन सिर्फ बनारस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, मुरादाबाद, झांसी जैसे शहरों में भी बिजलीकर्मियों का हुजूम विरोध के साथ सड़कों पर था। संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि यदि सरकार अब भी नहीं चेती, तो बिजली संकट गहराना तय है आज के देशव्यापी प्रदर्शन में यह साफ हो गया कि यह लड़ाई सिर्फ बिजली की नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और जनहित की भी है।

बनारस के बिजली कर्मचारियों ने देशभर की आवाज़ को जोड़ते हुए सरकार को अंतिम चेतावनी दे दी, “जनता की बिजली, जनता के पास रहनी चाहिए.. नहीं तो अब बत्ती गुल होगी, और आंदोलन तेज़!इस आंदोलन की लहर अब सिर्फ तारों में नहीं, दिलों में दौड़ रही है। अब देखना ये होगा कि सरकार ‘स्विच ऑन’ करती है संवाद का, या फिर ‘पावर ऑफ’ हो जाएगा भरोसे का!


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