Spread the love

करवाचौथ : चांद की एक झलक, प्रेम का चांदनी उत्सव, सुहागिनें की तपस्या, पति के हाथों जल ग्रहण की पूर्णवाराणसी : चांद के इंतज़ार में सजी हैं लाखों सुहागिनें, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियों से सजी हाथों में करवा लिए वो थाली, जिसमें रखा है प्रेम, आस्था और विश्वास का संगम है, सुहागिनें महिलाओं की चांद निकलते ही मानो उनकी तपस्या पूरी हो गई हो!

ये है करवा चौथ साल भर की दुआओं का प्रतीक। जब पत्नी सूरज उगने से पहले सर्गी खाती है और फिर दिनभर निर्जला उपवास रखती है, तो उसके मन में सिर्फ एक ही कामना होती है पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन। शाम ढले, जब चांद की पहली किरण आसमान में झिलमिलाती है, तो महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं, और उसी छलनी से अपने जीवनसाथी को निहारती हैं। वो पल जब आंखों में चमक, होंठों पर मुस्कान और दिल में दुआ होती है यही है करवा चौथ का असली सौंदर्य।

वाराणसी में शुक्रवार की रात करवा चौथ का पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। शाम होते ही सजे-धजे परिधान में सुहागिनें थाल सजाकर चांद का दीदार करने को बेसब्री से आसमान की ओर टकटकी लगाए रहीं। जैसे ही चांद के दर्शन हुए, महिलाओं ने पारंपरिक विधि-विधान के अनुसार पूजा-पाठ शुरू किया। चांद के दर्शन के बाद महिलाओं ने छलनी से पति का मुख देखकर आरती उतारी और अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा। इसके बाद परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर महिलाओं ने व्रत खोलने की रस्म निभाई। इस अवसर पर घरों में मिठाइयाँ, फल और पारंपरिक व्यंजन बनाए गए।

करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिला आरती, रेशमा, रिंकू, शांति और चंचल ने बताया की शादी होने के बाद से ही हम यह व्रत अपनी पती की लंबी आयु के लिए रख रहे हैं। पूरे विधि विधान के साथ यह पूजा करते हैं। पूजा से पूर्व हम सोलह श्रृंगार करते हैं। चंद्रमा का पूजा करते हैं और उन्हें जल अर्पित करते हैं। इससे पूर्व करवा माता का भी पूजन करते हैं उन्हें पांच प्रकार के फल फूल और माला अर्पित करते हैं। इसके साथ ही हम लोग बैठकर करवा माता का कथा भी सुनते हैं।

पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाओं के चेहरों पर उत्साह और संतोष साफ झलक रहा था। कई स्थानों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से भी पूजा का आयोजन किया, जहां करवा चौथ की कथा का वाचन हुआ और मंगलकामनाएं की गईं।

करवा चौथ का यह व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

वाराणसी के विभिन्न इलाकों सिगरा, लंका, अस्सी, भेलूपुर, खोजवा, सुसुवाही, चितईपुर, और डाफी में करवा चौथ का रंग पूरे दिन चढ़ा रहा। बाजारों में भी साड़ी, सिंगार, करवा और पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर दिनभर रौनक रही।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *