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वाराणसी : पांडों के वंशज, भीम के पौत्र, घटोत्कच के पुत्र, असहायों के रक्षक, हारे का सहारा श्री खाटू श्याम का अदभुत अलौकिक मंदिर काशी में दर्शन करने देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचते है। यह मंदिर देश का दूसरा स्वर्ण जड़ित खाटू श्याम मंदिर है। यह मंदिर आध्यात्मिक वातावरण एवं शांति का केंद्र है। आइए जानते है खाटू श्याम मंदिर के इतिहास, महत्व एवं विशेषता के बारे में। खबर देखने से पहले अगर आपने चैनल को लाइक, शेयर एवं सब्सक्राइब नहीं किया तो करना ना भूलें।

धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में कहते है सभी देवी देवताओं का वास है। आज हम आपको काशी के श्री खाटू श्याम मंदिर के दर्शन कराते है। जो वाराणसी के कैंट स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर लक्सा क्षेत्र में स्थित है। जो काशी के भीड़ भाड़ क्षेत्र से हटकर शांति जगह स्थिति है। यहां दर्शन करने से अलग ही अनुभूति की प्राप्ति होती है। मंदिर के निर्माण के 29 साल 2023 में गर्भ गृह को स्वर्ण से मंडित किया गया है। जो देश का दूसरा खाटू श्याम मंदिर है।

श्याम मंदिर के प्रधान अर्चक संजय शास्त्री ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1995 में माघ शुल्क बसंत पंचमी के दिन हुई थी। मंदिर के स्थापना के पीछे एक उद्देश्य था कि इस काशी धरती पर सभी देवी देवता विद्यमान है। श्याम बाबा का आदेश भक्तों को हुआ है। जिसके बाद मंदिर की नींव पड़ी। खाटू श्याम बाबा के चमत्कार के विषय में संजय शास्त्री ने बताया कि 15 साल पूरे होने पर कोई संतान नहीं था। उन्होंने प्रभु से मन्नत मांगी एक साल बाद। जब आएं तो एक छोटे से बालक के साथ आएं। उन्होंने प्रभु से अर्जी लगाते हुए कहा कि प्रभु ये आपका दिया हुआ बालक है। संजय शास्त्री ने आगे कहा कि अगर आप सच्चे मन से कोई कामना लेकर आते है तो मंदिर की सीढ़ी आप बाद में चढ़ेंगे पहले आपकी कामना पूरी होती है यह सभी भक्तों को पूर्ण विश्वास है।

अर्चक संजय शास्त्री ने बताया कि श्याम मंडल ट्रस्ट द्वारा दो वार्षिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। श्री श्याम झूलन उत्सव जो बड़े भव्य एवं दिव्य तरीके से मनाया जाता है। दूसरा हरियाली महोत्सव का आयोजन होता है। जो मंदिर प्रांगण में ही मनाया जाता है। भगवान खाटू श्याम के विधि विधान से आरती पूजन किया जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जा सकता है कि पूर्वांचल में ऐसे दिव्य मंदिर नहीं है।

 


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