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Varanasi News: देवाधिदेव महादेव के विवाह की पहली रस्म वसंत पंचमी की तिथि पर सोमवार को हुई। महंत परिवार ने महाकुम्भ से भेजे गए अभिमंत्रित जल से बाबा की पंचबदन मूर्ति का अभिषेक किया। यह जल धर्मसंघ शिक्षा मंडल के सचिव पं. जगजीतन पांडेय द्वारा बटुकों द्वारा पूजन के उपरांत भेजा गया। इसके उपरांत महंत परिवार के सदस्यों ने मिलकर बाबा के तिलक के विधान किए। काशीवासियों के सहभागिता से समस्त लोकाचार परंपरागत ढंग से टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर हुए।

बाबा की पंचबदन मूर्ति का भव्य शृंगार किया गया। सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई। भोर में मंगला आरती से शुरू हुए अनुष्ठान का क्रम रात्रि में तिलकोत्सव के उपरांत मंगल गीतों के गायन तक चला। सायंकाल महंत परिवार की अगुवाई में तिलक की रस्म पूरी की गई। शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर महंत परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने। इन थालों में वर के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे। लोकाचार के अनुसार दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे। काशीवासियों की भीड़ के साथ दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से डेढ़ीनीम स्थित महंत आवास तक पहुंची। यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगवानी की। कन्या पक्ष की ओर से महंत परिवार के सदस्यों ने तिलकोत्सव किया। पूजन का विधान संजीवरत्न मिश्र ने संपादित किया।

इस मध्य पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक रुद्राभिषेक किया। तिलकोत्सव के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं की मंडली ने पारंपरिक गीत गाए। भोर में हुई पंचबदन मूर्ति की आरती
इससे पूर्व भोर में 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई।

06:00 से 08:00 बजे तक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का त्रिवेणी संगम के जल से अभिषेक किया गया। सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया उसके उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक। पूर्वाह्न 11:45 बजे पुन: बाबा को स्नान कराया गया। 12:00 से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण एवं आरती की गई। 12:45 से 02:30 बजे तक महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए गए। 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए।

पं. वाचस्पति तिवारी एवं संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में श्रृंगार किया। 04:45 से 05:00 बजे तक संध्या आरती एवं भोग के बाद सायं पांच बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया। आचार्य सुशील त्रिपाठी के आचार्यत्व में तिलकोत्सव सम्पन्न हुआ।


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