वाराणसी : AI कोई अचानक हुई खोज नहीं है। अस्सी के दशक में ही इसकी वैचारिक नींव मजबूत हो चुकी थी। नीलसन की पुस्तक प्रिंसिपल्स ऑफ़ इंटेलिजेंस में ए.आई. की आधारभूत संरचना, नॉलेज रिप्रेज़ेंटेशन, लॉजिक-बेस्ड मॉडल्स और एक्सपर्ट सिस्टम्स की चर्चा की गई थी। ये बातें स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ के कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधन करते हुए IIT BHU के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा शुरुआती AI रूल-बेस्ड AI था, जो सीमित डेटा और सीमित कम्प्यूटिंग पावर के कारण अपेक्षित सफलता नहीं पा सका।
वाराणसी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ के कंप्यूटर साइंस विभाग द्वारा शनिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेक्स्टजेन ए.आई. : नवाचार, वैश्विक रुझान और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी की खोज विषय आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों व उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने ए.आई. के ऐतिहासिक विकास, भविष्य की संभावनाओं और उससे जुड़े सामाजिक-नैतिक आयामों पर गहन विचार-विमर्श किया। कॉन्फ्रेंस में विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और उद्योग प्रतिष्ठानों से आए सैकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
AI के पुनरुद्धार का मुख्य कारण तीन बड़े कारक
कार्यक्रम में IIT BHU के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि आज AI के पुनरुद्धार का मुख्य कारण तीन बड़े कारक बिग डेटा का विस्फोट, जीपीयू आधारित सुपर-फास्ट प्रोसेसिंग, अत्याधुनिक न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर हैं। ए.आई. को एक व्यापक कम्प्यूटेशनल प्रणाली बताते हुए कहा कि ए.आई. का वास्तविक सार यह नहीं कि मशीन सोचती है या नहीं, बल्कि यह है कि मशीन किस हद तक मानव-स्तरीय निर्णय प्रक्रिया का अनुकरण कर सकती है। आधुनिक ए.आई. में डेटा प्रोसेसिंग, पैटर्न की पहचान, प्राकृतिक भाषा की समझ, प्रेडिक्टिव मॉडलिंग और एडैप्टिव लर्निंग शामिल हैं। यह एक अत्यंत जटिल और उन्नत इंटीग्रेटेड प्रोग्रामिंग फ्रेमवर्क है।

AI को लेकर दो चित्र बन गए है
विशिष्ट अतिथि के रूप में डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म, ईज़बज़ के उपाध्यक्ष चेतन पांडे ने AI के प्रति समाज में फैले भ्रमों और गलतफहमियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया और जनमानस में ए.आई. को लेकर दो चित्र बन गए है। पहला कि AI सब कुछ संभाल लेगा और दूसरा कि AI सबकी नौकरियाँ खत्म कर देगा। दोनों ही दृष्टिकोण आधे-अधूरे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ए.आई. किसी भी तकनीकी प्लेटफॉर्म की तरह ही एक उपकरण है और उपकरण कभी संपूर्ण व्यवस्था को नष्ट नहीं करते, सिर्फ उसकी कार्यप्रणाली बदलते हैं। उन्होंने कहा डेटा प्रोसेसिंग, कस्टमर सर्विस ऑटोमेशन, साइबर सिक्योरिटी, फाइनेंशियल फ्रॉड डिटेक्शन वे क्षेत्र हैं जहां ए.आई. मानव क्षमता को बढ़ाने का काम कर रहा है, न कि प्रतिस्थापन का। ए.आई. का दुरुपयोग तभी संभव है जब मानव इसके गलत उपयोग को बढ़ावा दे।
AI का विकास पांच पीढ़ियों से गुज़रा, 2035 तक एवरेज जनरल इंटेलिजेंस का उदय संभव
विशिष्ट अतिथि ग्रेटर इंडिया रिसर्च एंड एडवाइजरी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम के वाइस प्रेसिडेंट विश्लेषक नवीन मिश्रा ने बताया कि AI के भविष्य पर प्रभावी प्रस्तुति देते हुए कहा कि AI का विकास पांच पीढ़ियों से गुज़र चुका है, रूल-बेस्ड, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग जनरेटिव एवं एजेंटिक ए.आई.। अब हम उस दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहां ए.आई. स्वयं निर्णय ले सकता है, अपने लक्ष्य तय कर सकता है और कार्यान्वित भी कर सकता है। 2035 तक ए.जी.आई. एवरेज जनरल इंटेलिजेंस का उदय संभव है। इसका अर्थ यह होगा कि मशीन की संज्ञानात्मक क्षमता मनुष्यों के औसत स्तर तक पहुंच जाएगी। यह समाज, उद्योग, रोजगार और शिक्षा-क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि भारत जैसे युवा देश में ए.आई. स्किलिंग, ए.आई. पॉलिसी और ए.आई. एथिक्स पर जल्द काम करने की आवश्यकता है।

एस.एम.एस. वाराणसी के निदेशक प्रो. पीएन झा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा ए.आई. केवल वैज्ञानिक अवधारणा नहीं रह गया, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन और पर्यावरणीय स्थिरता को नया स्वरूप दे रहा है। नेक्स्टजेन ए.आई. विशेष रूप से सस्टेनेबिलिटी, डेटा-ड्रिवन डिसीजन मेकिंग और रिस्पॉन्सिबल टेक्नोलॉजी की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य छात्रों, शोधार्थियों और उद्योग विशेषज्ञों को एक ऐसे साझा मंच पर लाना है जहां तकनीक के व्यावहारिक, नैतिक और नवाचार-आधारित आयामों पर सार्थक चर्चा हो सके।
